प्रिय
देखो गहन
अँधेरा है
फैल आई
जाने क्यूँ
इन अँधेरों
के साथ आज
तेरी
याद और भी
है गहराई ♥
प्रिय थकान से हूँ चूर चूर तुम्हें देख यूँ दूर दूर लगाई रही मैं आस आ जाओगे तुम पास ♥
प्रिय देखो ना टुट गये मेरे साज़ सुना करते थे तुम जिन्हें मेरे पहलु में बैठ होता था मुझे जिनपे नाज़ ♥
प्रिय बेहद रोये ये नैन करना ना आया हमें प्रेम दिल रहा हर घड़ी बेचैन छीन ली हमने तेरी भी चैन ♥
प्रिय थकान से हूँ चूर चूर तुम्हें देख यूँ दूर दूर लगाई रही मैं आस आ जाओगे तुम पास ♥
प्रिय देखो ना टुट गये मेरे साज़ सुना करते थे तुम जिन्हें मेरे पहलु में बैठ होता था मुझे जिनपे नाज़ ♥
प्रिय बेहद रोये ये नैन करना ना आया हमें प्रेम दिल रहा हर घड़ी बेचैन छीन ली हमने तेरी भी चैन ♥
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