गहन अंधेरा♥

प्रिय देखो गहन अँधेरा है फैल आई जाने क्यूँ इन अँधेरों के साथ आज तेरी याद और भी है गहराई ♥
प्रिय थकान से हूँ चूर चूर तुम्हें देख यूँ दूर दूर लगाई रही मैं आस आ जाओगे तुम पास ♥
प्रिय देखो ना टुट गये मेरे साज़ सुना करते थे तुम जिन्हें मेरे पहलु में बैठ होता था मुझे जिनपे नाज़ ♥
प्रिय बेहद रोये ये नैन करना ना आया हमें प्रेम दिल रहा हर घड़ी बेचैन छीन ली हमने तेरी भी चैन ♥

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