तुम December 14, 2013 Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps मेरे दिल में धड़कन बन गुंज़ने लगे हो तुम अपने ही सांसों में महसूस करने लगी हूँ तुम्हें इन अहसासों के बेहद करीब आने लगी हूँ मैं♥ Comments डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'5 June 2014 at 03:41बहुत सुन्दर क्षणिका।ReplyDeleteRepliesReplyनिभा6 June 2014 at 00:21अाभार सर ....ReplyDeleteRepliesReplyvirendra sharma9 June 2014 at 14:24हाँ यही प्यार है बस एक एहसास 'तुम' का 'मैं 'होने 'मैं' का लोप होने का। ReplyDeleteRepliesनिभा10 June 2014 at 00:01शुक्रिया सर .........DeleteRepliesReplyReplyAdd commentLoad more... Post a Comment
बहुत सुन्दर क्षणिका।
ReplyDeleteअाभार सर ....
ReplyDeleteहाँ यही प्यार है बस एक एहसास 'तुम' का 'मैं 'होने 'मैं' का लोप होने का।
ReplyDeleteशुक्रिया सर .........
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