कई दिनों बाद
तुम्हें देख अच्छा लगा
लेकिन ना जाने क्यूँ
तुम्हारी मुसकराहट
में कुछ कमी सी लगी
खुलके हँसा करो
ये फिकी मुसकराहट
तुमपे तनिक भी
नही फबती
क्या तुम नहीं चाहतें
ये बगीयां हरी भरी हो
यहाँ रंग बिरंगे फूल खिले
पंछी गायें.. इन हवाओं से संगीत बजे
क्या सोचते हो
भूल जाओ उन तमाम बातों को
जो तुम्हें तकलीफ़ देती हैं
खुश रहो.. दिल से हँसो
ये वादियाँ तुमसे हँसती हैं ♥
तुम्हें देख अच्छा लगा
लेकिन ना जाने क्यूँ
तुम्हारी मुसकराहट
में कुछ कमी सी लगी
खुलके हँसा करो
ये फिकी मुसकराहट
तुमपे तनिक भी
नही फबती
क्या तुम नहीं चाहतें
ये बगीयां हरी भरी हो
यहाँ रंग बिरंगे फूल खिले
पंछी गायें.. इन हवाओं से संगीत बजे
क्या सोचते हो
भूल जाओ उन तमाम बातों को
जो तुम्हें तकलीफ़ देती हैं
खुश रहो.. दिल से हँसो
ये वादियाँ तुमसे हँसती हैं ♥
Comments
Post a Comment