#बसयूँही August 03, 2014 Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps बस यूँही ढ़लते ढ़लते जिंदगी की शाम ढल जायेगी उम्मीदों के साये तले कुछ हसरतें ज़वा रह जायेगी #बसयूँही Comments कविता रावत 16 November 2014 at 21:27बस यूँही ढ़लते ढ़लते जिंदगी की शाम ढल जायेगीउम्मीदों के साये तले कुछ हसरतें ज़वा रह जायेगी...बहुत खूब ReplyDeleteRepliesReplyनिभा17 November 2014 at 05:59शुक्रिया आपका....!!!ReplyDeleteRepliesReplyAdd commentLoad more... Post a Comment
बस यूँही ढ़लते ढ़लते जिंदगी की शाम ढल जायेगी
ReplyDeleteउम्मीदों के साये तले कुछ हसरतें ज़वा रह जायेगी
...बहुत खूब
शुक्रिया आपका....!!!
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